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#LabourDay कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ मैं

#LabourDay  कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ

थक जाये बदन,पर हाथ रुकते नहीं हैं
पड़े पैर में छाले,पर पैर थकते नहीं हैं
हजारों जिम्मेदारियां लाद कर भी
हर रोज़ ज़माने का बोझ उठता हुँ
कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ

दर्द होता है ,पर किसी से कहते नही है 
करते हैं मेहनत,पर कहीं झुकते नही हैं
थमने लगती हैं ये सांसे  फिर भी
मैं बड़े बड़े पर्वत को चढ़ जाता हूँ
कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ मै मजदूर हूं _#-&२-#₹+२--₹
#LabourDay  कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ

थक जाये बदन,पर हाथ रुकते नहीं हैं
पड़े पैर में छाले,पर पैर थकते नहीं हैं
हजारों जिम्मेदारियां लाद कर भी
हर रोज़ ज़माने का बोझ उठता हुँ
कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ

दर्द होता है ,पर किसी से कहते नही है 
करते हैं मेहनत,पर कहीं झुकते नही हैं
थमने लगती हैं ये सांसे  फिर भी
मैं बड़े बड़े पर्वत को चढ़ जाता हूँ
कैसी भी हो परिस्तिथि टकरा जाता हुँ
मैं मजदूर हुँ ,हर हाल में मुस्कुराता हुँ मै मजदूर हूं _#-&२-#₹+२--₹

मै मजदूर हूं _#-&२-#₹+२--₹ #Labourday