बारिश एहसास की जमीं पे,तुम बरसे हो थम-थम के । बादल से गिरती कुछ बूंदों से,जरा कम-कम से। जिस्मो-जान भी तरबतर हो मन के आंगन का, रिमझिम बूंदों से बरसो तुम ,गोया जम-जम के। #बारिश