ना जाने कैसे ये सिलसिले है। जो यूं पत्थर पर फूल खिले हैं। मिल कर तुमसे मुझको यूं लगा। जैसे खुद से हम बरसों बाद मिले हैं। ताहिर।।। ©TAHIR CHAUHAN #सिलसिले