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कि उठ रहें हैं पर्दे, कुछ तेरी सक्षियत से तो कुछ,

कि उठ रहें हैं पर्दे,
कुछ तेरी सक्षियत से तो कुछ,
हमारी आंखों से।
चलो आख़िर में तय हुआ कि,
बेपर्दा तो इस दिल्लगी में सिर्फ हमारी मोहोब्बत थी, 
थे हम बिल्कुल पाक आईने की तरह।
और पर्दानशीं  तो तुम थे,
थे बिल्कुल एक अंजान की तरह,
 न जानें कितनी परतें निकली हैं अभी  और,
 कितनी अभी निकलनी बाकी हैं।।

©Monika Bhardwaj बेपर्दा हम_परदांशीन तुम।

#poetbychance 
#बेपर्दा_हम_परदांशीन_तुम।
#प्यार
#poetry
#Monikabhardwaj 
#monika
कि उठ रहें हैं पर्दे,
कुछ तेरी सक्षियत से तो कुछ,
हमारी आंखों से।
चलो आख़िर में तय हुआ कि,
बेपर्दा तो इस दिल्लगी में सिर्फ हमारी मोहोब्बत थी, 
थे हम बिल्कुल पाक आईने की तरह।
और पर्दानशीं  तो तुम थे,
थे बिल्कुल एक अंजान की तरह,
 न जानें कितनी परतें निकली हैं अभी  और,
 कितनी अभी निकलनी बाकी हैं।।

©Monika Bhardwaj बेपर्दा हम_परदांशीन तुम।

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#बेपर्दा_हम_परदांशीन_तुम।
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