दिल मुझे तितली का टूटा हुआ पंख लगता है। अब तेरा नाम भी लिखते हुए डर लगता है।। ये सोते हुए बच्चो की तरह हंसता है, आग में फूल फरिश्तों का हुनर लगता है। मै तेरे साथ सितारों से गुजर सकता हूँ, कितना आसान मोहब्बत का सफर लगता है। जिन्दगी तूने मुझे कब्र से कम दी है जमीं, पाँव फैलाऊं तो दीवार में सर लगता है। ----------बशीर भद्र #बशीर भद्र #gazal #shayari #poem