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Nature Quotes दहेज़ शब्द सुन किसी का चेहरा खिलता है

Nature Quotes दहेज़ शब्द सुन किसी का चेहरा खिलता है,
और किसी का मुरझा जाता है..!

खिलने वाले और मुरझाने वाले में,
देखिये क्या क्या फर्क आता है..!

कि कोई समझता है खुद को नवाब,
फिर भी भीख कन्या के पिता से माँगता है..!

और खुद के गले में तोहफ़े का,
जैसे तख्ता टाँगता है..!

मिला है ये तोहफे के रूप में,
माँग का कहीं भी जिक्र नहीं आता है..!

एक और बोझ तले,
पिता का मान दब जाता है..!

लोकनिंदा का भी ख़्याल तक न आता है,
दहेज़ लेने के बाद भी कन्या पक्ष को दबाता है..!

माँग का जैसे अधिकार यूँ जमाता है,
रिश्ते को बस माँग पर ही निभाता है..!

कैसी ये कुप्रथा है जिसका अंत कभी न होता है,
राक्षस रुपी दहेज़ खुशियाँ बेटियों की हड़प लेता है..!

छीन लेता है सुख चैन सदा सदा के लिए,
पीढ़ियों दर पीढ़ियों कर्ज़दार पिता रहता है..!

©SHIVA KANT(Shayar) #NatureQuotes #Dahej