हमने आँखों को बिछड़ते वक्त रोने ना दिया कोई दूजा ख्वाब आँखों ने सजोने ना दिया बीती शब नशे में तेरा जिक्र छेड़ बैठे फिर तबाह तकियें की नमी ने सोने ना दिया ऐसा भी नहीं की हमने कोशिशें नहीं की पर वफाओं ने हमें किसी का होने ना दिया ख्याल भी ये मेरे अब मुरीद हो चुके तेरे की गजल में तेरे सानी को पिरोने ना दिया होने को तेरे जहाँ में रब्बा क्या नहीं हुआ एक बस उसी को तूमने मेरा होने ना दिया.. ©Rahi हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' शायरी दर्द