तुम्हें जानता गर समझता तो तुम्हे मैं पढ़ता कैसे.. क्यूं का तो सवाल था ही मैं शहर में नया था तेरे घर पर लगे टैग पर नाम तेरा था... शौक़ तो था नही मगर मुझे तेरा नाम अधूरा सा लगा, नाम ही था सो पूरा कर दूं ख़याल अच्छा था मगर तुम्हें पढ़ता न तो ख़याल करता कैसे? तुम्हें जानता गर समझता तो तुम्हें मैं पड़ता कैसे। #कुमार किशन #पढ़ने का कारण