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सोहर ******** आजु के दिनमा सोहावन लल्ला मनभावन रे

सोहर
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आजु के दिनमा सोहावन लल्ला मनभावन रे
ललना रे
जनमल गोकुल में बलकवा कि जिया हरषाओल रे, ललना रे 
धनि- धनि भाग यशोमति कि भेलहू महतारी न ले, ललना रे
अद्भुत रूप देखि अजगुत में परली माय छगुन भेलि रे, ललना रे
इहे छथि प्रभुजी तारणहार आ पार खेवैया न रे, ललना रे
कर जोड़ि विनती करय लगली माय चकित भेलि रे, ललना रे
समटहूं विश्व रूपे दरशन आ शिशु बनि लीला करहूं रे, ललना रे
जुगे- जुगे तरसल माय, बालक लेल असरा पुरावहु रे, ललना रे 
परभु मुस्कैलनि,भाभट समेटि रूदन कयलनि रे, ललना रे 
गोदी में खेलत नन्दनंदन चहूं ओर सोहावन रे, ललना रे
घर घर बाजै बधइयां-बधइयां शोर भेल रे, ललना रे,
जिया हरषायब आ नयन जुड़ायब देखि-दखि परम छवि रे, ललना रे
छन छन सोचैथि यदुपति पाथर पर दूबि जनमल रे, ललना रे
चमकल  यदुकुल के नाम पितर सभहक आस पूरल रे, ललना रे।
हमसभ के दिय न आशीष कि जनम सोगारथ होय रे।
परभु पद में उपजै प्रेम, एकिबेर झलक देखावहुं रे।
 स्वरचित एवं मौलिक
 सुमन झा माहे गोरखपुर

©jha madam Classes
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