ये बारिश की बूंदे, तू आजा, बोली धेनु, हमे क्यों तड़पा रहा, आखिर क्यों रुला रहा, खाने के लिए दाना ना बचा, हम भटक रहे इस कदर की ये जमी भी रोने लगी, क्योकि प्यासी तो वह भी है, बस चाह है तेरी एक बारिश कि, जरा रहम कर हम पर भी ये पेड़ बोल रहा, हम तो तेरे ईसारे पर वाले... क्यो मानुस की सजा हमको दे रहा Please save plants Give animal foods Than your life will be save Sun writer #NojotoQuote बारिश अब तो आजा..