कुछ बेपरवाह और बेहद बेफिक्र सा गुजरा था पीछे झाँक कर देखा तो पता लगा वो मेरे जीवन का सबसे मासूम टुकड़ा था । जब जहन में आया वो तो धूल में लिपटा हुआ मेरा प्यारा सा बचपन था । मेरा चिल्लरों से भरा खनखन करता वो गुल्लक वो चिलचिलाती धूप में लकड़ी के बल्ले ले चल पड़ता तेंदुलकर की कश्ती में । वो बहाना बना स्कूल न जाना वो स्कूल में पेंसिल ,रबर का खो जाना वो दोस्तों से झगड़ना ,वो रूठना मनाना और परिच्छा के दिन मिला कर लिखना । वो चुपके से घर से बाहर जाना और बहन के हाथों मार खाना । बड़ा ही नासमझ था वो गुजरा हुआ बचपन का जमाना । न जाने कहां खो गये वो सब नादान असली चेहरे, बड़े होकर लगा लिए सबने चेहरे पे न जाने कितने चेहरे । काश वो बेफिक्री के दिन में फिर से जी सकता काश उन दिनों में वापस जाकर कुछ पल ठहर सकता ।.............😊😊😊😊😊😊। #childhooddays #childhoodlove #childhoodlife