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मेरे हाथों में खंज़र है पर निशाना नहीं, मेरे अपन

मेरे हाथों में  खंज़र है  पर  निशाना नहीं,
मेरे अपने ही घर का कोई ठिकाना नहीं।

मैंने भी देखा है इस  जहां को आज-माकर,
साथ  दे कोई किसी का ऐसा ज़माना नहीं।

©prakash Jha मेरे हाथों में  खंज़र है  पर  निशाना नहीं,
मेरे अपने ही घर का कोई ठिकाना नहीं।

मैंने भी देखा है इस  जहां को आज-माकर,
साथ  दे कोई किसी का ऐसा ज़माना नहीं।

अपने दिल में  दिल का दर्द छुपा रखा है,
मेरा दिल जिस्से बहले ऐसा बहाना नहीं।
मेरे हाथों में  खंज़र है  पर  निशाना नहीं,
मेरे अपने ही घर का कोई ठिकाना नहीं।

मैंने भी देखा है इस  जहां को आज-माकर,
साथ  दे कोई किसी का ऐसा ज़माना नहीं।

©prakash Jha मेरे हाथों में  खंज़र है  पर  निशाना नहीं,
मेरे अपने ही घर का कोई ठिकाना नहीं।

मैंने भी देखा है इस  जहां को आज-माकर,
साथ  दे कोई किसी का ऐसा ज़माना नहीं।

अपने दिल में  दिल का दर्द छुपा रखा है,
मेरा दिल जिस्से बहले ऐसा बहाना नहीं।
prakashjha2842

prakash Jha

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