आँखें मेरी बेचैन पूछा क्यूँ हो परेशां पूछा होकर हैरान पूछो अपने नादान दिल से क्या अच्छा लगता धीरे जब मैंने पूछा हल्के से वो बोला वो है प्रेमिका तुम्हारी तुम भी तो कर रहे उसका ही इंतज़ार मन में सोचा आँखें और ये मेरा दिल कर रहे मुझसे ही धोखा ना रहा मेरा इन पर मेरा काबू मैं भी होकर बेकरार बेकाबू बस देखने को एक झलक तुम्हारी धड़कनें मुस्कुरा उठती आँखों में चमक आ जाती हम सब एक झलक तुम्हारी पा जातीं एक झलक में ही मैं खो गया देखते देखते ही तुमसे इश्क़ हो गया ♥️ Challenge-955 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।