मेहनत का फल अपने अभियान का तूफान दबा कर देखो दोस्ती का जरा हाँथ बढ़ा कर भी देखो किस तरह जीते हैं, लोग यहां मर-मर कर गरीबों के घर किसी रोज तो जाकर देखो जाति मजहब को रखो दूर दिलों से सपने इनमें कुछ प्यार भरे फूल खिलाकर देखो छांव में रहते हो,पेड़ों पे क्या गुजरती है जान जाओगे कभी, धूप में आकर देखो कोई आँधी कोई तूफान ना बुझा पायेगा दीप इस दिल में मोहब्बत का जला के देखो। मेहनत का फल