सागर भी करीब थे , तालाब भी करीब थे ,
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे !
मर चुकी थी चाह और खो चुकी थी कामना ,
क्या बताऊ आपको कैसा मेरा तक़दीर थे !!
पी नहीं सकता था , मेरे प्यास भी अजीब थे .....
पाने की होड़ में बढ़ रही थी परेशानियां ,
आ चुके थे बोझ जा चुकी थी नादानियाँ !
गरीबी की मार थी , लोगों के थे अटकलें ,