मै बाढ़ का वो पानी हूँ लहरों का आभूषण धारे तट को धोते रहता हूँ कभी निकलकर सागर से तो कभी बरखा का पानी हूँ मैं बाढ़ का वो पानी हूँ मैं किसान अब बाढ़ हो गया रोको कब तक रोकोगे हम किसान अनाज उगाते कीलें कब तक ठोकोगे वसुधा को हम सिंचित करते टिकैत की आँख का पानी हूँ मैं बाढ़ का वो पानी हूँ ये टट्टू हमको क्या रोकेंगे जो खुदी बिके हैं नोटों पर सत्ता के पुजारी बैठे हैं चम्पाबाई के कोठों पर उनको ये आभास नहीं परिवर्तन की एक रवानी हूँ मैं बाढ़ का वो पानी हूँ poetarjun4909 नदियाँ ,सागर ,और झील भी सदियों से कहती आयी हैं जय जवान और जय किसान वसुधा पर आकर गायी हैं कब समझेगा 56 इंची मैं बीती एक कहानी हूँ मैं बाढ़ का वो पानी हूँ सिंहासन के लोभी जब-जब पंजे ग्रीवा तक लाएंगे उनके गीदड़ पंजों को नोच फेंक दिखलाएंगे टिकैत बनूँ या कभी भगत सिंह कभी झांसी की रानी हूँ मैं बाढ़ का वो पानी हूँ ©Kavi अर्जुन*चाणक्य* #flood #flood