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खुले आसमान के नीचे बैठ के उन की याद आ ही जाती है

खुले आसमान के नीचे बैठ के उन की याद 
आ ही जाती है 
शाम की ओश की बूंदें में पुराने ख्याल उभर के 
ताजा हो ही जाते है 
यादे तो शाम की ओश की बूंदों में
 ओर महक जाती है 
पर उन को समेटने के लिए वो साथ नही होते टाइम हो तो पड़ लेना
खुले आसमान के नीचे बैठ के उन की याद 
आ ही जाती है 
शाम की ओश की बूंदें में पुराने ख्याल उभर के 
ताजा हो ही जाते है 
यादे तो शाम की ओश की बूंदों में
 ओर महक जाती है 
पर उन को समेटने के लिए वो साथ नही होते टाइम हो तो पड़ लेना
sahilchandel3316

Mr chandel07

New Creator

टाइम हो तो पड़ लेना