मुझसे बात करने की, बस एक ख़ता कर दे वो. हंस कर फ़ना हो जाऊँ इश्क़ में, ज़रा इलहाम अता कर दे वो. खामोशियों में आज भी बस उसी का शोर है, गमज़दा सिर्फ़ मै हूं, बाहर ख़ुशी का दौर है. इस मर्ज़-ए-दिल की, ज़रा दवा पता कर दे वो. मुझसे बात करने की, बस एक ख़ता कर दे वो. -रूद्र प्रताप सिंह इलहाम* : PERMISSION