*कोई "हालात" को नहीं समझता, तो कोई "जज़्बात" को नहीं समझता।* *ये तो बस अपनी-अपनी "समझ" है.* *कोई "कोरा कागज़" भी पढ़ लेता है, तो कोई पूरी "किताब" नहीं समझता।*