बेटे बड़े नसीब और मिन्नतो के बाद आते हैं बेटे यूं नही सबके मन को भा जाते है बेटे कहने को सब कहते हैं कि नाजों से पाले जाते हैं बेटे संस्कार और समाज की बेड़ियों में ढाले जाते है बेटे बड़े होते ही डाल दी जाती है जिम्मेदारियां जाने किस सांचे में ढाले जाते हैं बेटे कहने को तो घर होता हैं इनका पर घर के निवाले जल्दी नहीं पाते है बेटे मां बाप, बहन भाई और घर की चिंता इन सब के लिए मुंह पर ताले लगाते है बेटे बेटियां तो एक बार विदा होती हैं घर से कई बार घर से विदा कर निकाले जाते है बेटे आंसू होते है इनकी भी आंखों में कभी कभी बाप का हौसला ना टूटे इसलिए इन्हे छुपाते है बेटे ©Ankur tiwari #againstthetide बेटे बड़े नसीब और मिन्नतो के बाद आते हैं बेटे यूं नही सबके मन को भा जाते है बेटे कहने को सब कहते हैं कि नाजों से पाले जाते हैं बेटे संस्कार और समाज की बेड़ियों में ढाले जाते है बेटे