शायद ये मुमकिन नही! 😊 मैं हर शाम जा कर बैठ जाता हूँ, छत के उस कोने में, ये सोच कर कि, ढलते सूरज सा उनका गुस्सा ढल जाए और उभरते चाँद सी वो छत पर नज़र आए, पर शायद ये मुमकिन नही, शायद ये मुमकिन नही की, तमाम काले साए की बरसात कुछ पल को ठहर जाए, और चंद लम्हो के खातिर ही सही, बस उनसे मेरी आँखें लड़ जाए, मुहब्बत की ना सही, बस अतीत के कुछ लम्हे, वो आंखे बयाँ कर जाए, मेरे संग बिताए चंद पल, कुछ यूं उन्हें याद आए! हसीन ख्वाबों में, दर्द के सारे बादल घुल जाए, कुछ पल को ही सही, पर उनके चेहरे पर हसी छा जाए ! पर शायद ये मुमकिन नही!! 😊 ©Sunny कुमार #Love #Butterfly