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इक पुरानी सी ग़ज़ल है उम्र अब। अब नए अशआर जुड़ सकते न

इक पुरानी सी ग़ज़ल है उम्र अब।
अब नए अशआर जुड़ सकते नहीं।
थी कभी महफ़िल की रानाई बनी।
अब मुरीद इस ओर मुड़ सकते नहीं।

— % & #अंजलिउवाच #YQdidi #उम्र #ग़ज़ल #अशआर #महफ़िल #मुरीद
इक पुरानी सी ग़ज़ल है उम्र अब।
अब नए अशआर जुड़ सकते नहीं।
थी कभी महफ़िल की रानाई बनी।
अब मुरीद इस ओर मुड़ सकते नहीं।

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