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अकेला हूं, एक ख़याल हूं में फिर भी ,बे हिसाब हूं ना

अकेला हूं, एक ख़याल हूं
में फिर भी ,बे हिसाब हूं
ना ज़माने की फ़िकर
ना दिखावे का डर है।
कभी खुद से खफा 
कभी बिन शर्तों के प्यार है।
उड़ना तय है अब
पंखों में भी जान है
चला में कहे दिल जहाँ
पाने को एक मंज़र बेमिसाल है।


#अभिनव कुमार ड्रीम
अकेला हूं, एक ख़याल हूं
में फिर भी ,बे हिसाब हूं
ना ज़माने की फ़िकर
ना दिखावे का डर है।
कभी खुद से खफा 
कभी बिन शर्तों के प्यार है।
उड़ना तय है अब
पंखों में भी जान है
चला में कहे दिल जहाँ
पाने को एक मंज़र बेमिसाल है।


#अभिनव कुमार ड्रीम

ड्रीम #अभिनव