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कलम उठा मैं प्रेम लिखूंगा ..... हिन्दुस्तान के ना

कलम उठा मैं प्रेम लिखूंगा .....
 हिन्दुस्तान के नाम
मिले जन्म यदि दूसरा.... 
आऊं देश के काम।
तप , त्याग , और शांति मिली , 
मिला मूल यही ज्ञान
वसुधैव कुटुंबकम् , 
सर्व धर्म एक समान।
हितोपदेश दिए जहां , 
दिया गीता का सार...
कर्म तत्व सबसे बड़ा ,
 जो अब समझा संसार।
लोक लाज का भय गया , 
आई मुझमें जान
छोड़कर शर्म की चादर ,
 बनानी है एक पहचान।
शून्य दिया हमने जब,
 आया ब्रह्मांड का ज्ञान
जितनी प्राचीन संस्कृति,
पर हम हैं शून्य समान।
कर प्रयत्न नित रोज मैं , 
दूंगा अपना सर्वश्रेष्ठ...
शिक्षा में कैसी शर्म ,  
क्या अनुज क्या ज्येष्ठ।
यह विचार है आखिरी , 
ना करना अब संकोच
यही लक्ष्य है आखिरी ,
रे मन कुछ तो सोच।

©शून्य लेखनी #writing 

#words #Meaning #thought 

#positive #Poetry #my #Opinion
कलम उठा मैं प्रेम लिखूंगा .....
 हिन्दुस्तान के नाम
मिले जन्म यदि दूसरा.... 
आऊं देश के काम।
तप , त्याग , और शांति मिली , 
मिला मूल यही ज्ञान
वसुधैव कुटुंबकम् , 
सर्व धर्म एक समान।
हितोपदेश दिए जहां , 
दिया गीता का सार...
कर्म तत्व सबसे बड़ा ,
 जो अब समझा संसार।
लोक लाज का भय गया , 
आई मुझमें जान
छोड़कर शर्म की चादर ,
 बनानी है एक पहचान।
शून्य दिया हमने जब,
 आया ब्रह्मांड का ज्ञान
जितनी प्राचीन संस्कृति,
पर हम हैं शून्य समान।
कर प्रयत्न नित रोज मैं , 
दूंगा अपना सर्वश्रेष्ठ...
शिक्षा में कैसी शर्म ,  
क्या अनुज क्या ज्येष्ठ।
यह विचार है आखिरी , 
ना करना अब संकोच
यही लक्ष्य है आखिरी ,
रे मन कुछ तो सोच।

©शून्य लेखनी #writing 

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#positive #Poetry #my #Opinion