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हासिल की डगर हे हसल की परवाह हुई ही नही जो था पास

हासिल की डगर हे हसल की परवाह हुई ही नही 
जो था पास मेरे  "
बस उसी से सब काबिल हुआ
यकीन खुदा पर था बरकत खुद जहन में हुई 
वास्ता रहगुज़र से घर मेरा मंज़िल पर था ....
हा में सफर पर था ......

©G0V!ND DHAkAD #destination is our rights
हासिल की डगर हे हसल की परवाह हुई ही नही 
जो था पास मेरे  "
बस उसी से सब काबिल हुआ
यकीन खुदा पर था बरकत खुद जहन में हुई 
वास्ता रहगुज़र से घर मेरा मंज़िल पर था ....
हा में सफर पर था ......

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