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न रुदन सुनायी देती है, न सुनते हैं कोई चिकार माटी

न रुदन सुनायी देती है, न सुनते हैं कोई चिकार
माटी के खिलौने टूट गए, कहकहा लगाए नर संहार
कोई देश नहीं कोई वेश नहीं,
जिसका हो बचा अवशेष कहीं
बस निहित स्वार्थ हित जलते हैं, मरने को ही जन पलते हैं
बोलो अब शान्ति सर्ग कहाँ, मानवता का अपवर्ग कहाँ
क्या बसा हुआ मृत सोने में, या जीते जी सब खोने में
आँखें बरसें मुख मौन कहें, अब न्याय करो करुणानिधान
कब तक जन अत्याचार सहें,
अब चुप न रहो बोलो भगवान #alokstates #vrindasays
#prayforsrilanka #प्रार्थना
#नरसंहार #हिंदी_कविता
#yqbaba #yqdidi
न रुदन सुनायी देती है, न सुनते हैं कोई चिकार
माटी के खिलौने टूट गए, कहकहा लगाए नर संहार
कोई देश नहीं कोई वेश नहीं,
जिसका हो बचा अवशेष कहीं
बस निहित स्वार्थ हित जलते हैं, मरने को ही जन पलते हैं
बोलो अब शान्ति सर्ग कहाँ, मानवता का अपवर्ग कहाँ
क्या बसा हुआ मृत सोने में, या जीते जी सब खोने में
आँखें बरसें मुख मौन कहें, अब न्याय करो करुणानिधान
कब तक जन अत्याचार सहें,
अब चुप न रहो बोलो भगवान #alokstates #vrindasays
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