हाड़ जले जस बन की लकड़ियाँ, केश जले जस घासां, सोने जैसी काया जल गई, कोइ न आयो रे पासां, मन फूला फूला फिरे, जगत में कैसा नाता रे, ©Gyansagar Chaudhari #KabirJayanti #Quote