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जाने कितनी रात जगाया उनको खुद तन्हा हो कर तन्हा

जाने  कितनी  रात  जगाया उनको
खुद तन्हा हो कर तन्हा पाया उनको

बातों बातों में रात बीत जाती थी
जाने कितने पहर जगाया उनको

शाम ढलते उनकी बांहों में थे हम
उनकी यादों ने बहुत सताया हमको

रातों  को  अक्सर  उनका  तारे गिनना
तारों की बातों में हम ने बहकाया उनको
 
वो  भी  कम  न  थे  गिरा  के जुल्फे
जुल्फों  बीच   बहकाया   हमको

जाते जाते इक वादा था उनका सुनो प्रिये
मर    कर    भी    भूलेंगे    ना  तुझको

ये  दुनिया  भी याद  रखेगी  सदा
कुछ ऐस  इश्क़ किये थे तुझको


                                                                               ✍ अमितेश निषाद ( सुमित ) जाने  कितनी  रात  जगाया उनको
खुद तन्हा हो कर तन्हा पाया उनको

बातों बातों में रात बीत जाती थी
जाने कितने पहर जगाया उनको

शाम ढलते उनकी बांहों में थे हम
उनकी यादों ने बहुत सताया हमको
जाने  कितनी  रात  जगाया उनको
खुद तन्हा हो कर तन्हा पाया उनको

बातों बातों में रात बीत जाती थी
जाने कितने पहर जगाया उनको

शाम ढलते उनकी बांहों में थे हम
उनकी यादों ने बहुत सताया हमको

रातों  को  अक्सर  उनका  तारे गिनना
तारों की बातों में हम ने बहकाया उनको
 
वो  भी  कम  न  थे  गिरा  के जुल्फे
जुल्फों  बीच   बहकाया   हमको

जाते जाते इक वादा था उनका सुनो प्रिये
मर    कर    भी    भूलेंगे    ना  तुझको

ये  दुनिया  भी याद  रखेगी  सदा
कुछ ऐस  इश्क़ किये थे तुझको


                                                                               ✍ अमितेश निषाद ( सुमित ) जाने  कितनी  रात  जगाया उनको
खुद तन्हा हो कर तन्हा पाया उनको

बातों बातों में रात बीत जाती थी
जाने कितने पहर जगाया उनको

शाम ढलते उनकी बांहों में थे हम
उनकी यादों ने बहुत सताया हमको

जाने कितनी रात जगाया उनको खुद तन्हा हो कर तन्हा पाया उनको बातों बातों में रात बीत जाती थी जाने कितने पहर जगाया उनको शाम ढलते उनकी बांहों में थे हम उनकी यादों ने बहुत सताया हमको