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आया जब लौट के वापस, आके हमसे मिला तो नहीं शायद ख़फ़ा

आया जब लौट के वापस, आके हमसे मिला तो नहीं
शायद ख़फ़ा हो गया होगा वो, अभी कुछ कहा तो नहीं
गया था वो बस एक पल, आने का उसका था इरादा
नहीं था मालूम मुझे, वक़्त वो मेरा वापस कहीं दिखा तो नहीं

उन लम्हों में था बचपन मेरा, वो भी किसी का सगा तो नहीं
खिलाये और खेला सबके संग, खेल आज तक वैसा खेला तो नहीं
खिलखिलाहट थी नज़रों में, अटखेलियां थी क़दमों में
वो नज़रे, वो कदमें, वो खुशियां किसी से छुपा तो नहीं लम्हा
#poem #nojoto #lamhamera
आया जब लौट के वापस, आके हमसे मिला तो नहीं
शायद ख़फ़ा हो गया होगा वो, अभी कुछ कहा तो नहीं
गया था वो बस एक पल, आने का उसका था इरादा
नहीं था मालूम मुझे, वक़्त वो मेरा वापस कहीं दिखा तो नहीं

उन लम्हों में था बचपन मेरा, वो भी किसी का सगा तो नहीं
खिलाये और खेला सबके संग, खेल आज तक वैसा खेला तो नहीं
खिलखिलाहट थी नज़रों में, अटखेलियां थी क़दमों में
वो नज़रे, वो कदमें, वो खुशियां किसी से छुपा तो नहीं लम्हा
#poem #nojoto #lamhamera