नारी अब तुम चुप न रहो ओ नारी,अब तुम यूं चूप न रहो, रही अब तक तुम बहुत खामोश। अब हो रहे अन्याय पर तुम, बेधड़क छेड़ दो शोर से विगुल। जब है नहीं गलती कभी तुम्हारी, तो शर्म का घूंघट क्यूं तुम ओढ़ो। फेंक दो सारी रस्में रिवाजों को, कसमें, वादों, इरादों, जज़्बातों को। जो कहते हैं तुम कमजोर हो, तुम्हारी आवाज़ में ज़ोरदार शोर हो। जो समाज को दे जाए चेतावनी, जो हुआ अब तक बहुत हो चुका। मां काली रुप लो गर फिर से, कोई महिषासुर बनकर तुमको ललकारें। शांति की भाषा कहा असुरों को समझ आती है, उन्हें बलि बना बाकी का भी उद्धार करो। 'किरन' अब नारी बन तुम चूप न रहो... 'किरन' #NojotoQuote नारी तुम चुप न रहो #नारी