बेरंग दिल पे चढ़ा दूँ तुम्हारे इश्क़ के रंग, बुरा तो नहीं मानोगे? मानकर अपना तुम्हें, चल दूँ तुम्हारे संग, बुरा तो नहीं मानोगे? तुम्हारी हँसी के बिना उजड़ी-उजड़ी सी लग रही हैं ये दीवारें, पतझड़ी इन लम्हों पर कर दूँ सब्ज़-रंग, बुरा तो नहीं मानोगे? घूम-फिरकर दिल आ खड़ा होता तुम्हारे दिल की दहलीज़ पे, यूँ ही हँसी-ठिठोली में, कर लूँ तुम्हें तंग, बुरा तो नहीं मानोगे? किसी न किसी बहाने से, दिल बेवजह तुमसे उलझ पड़ता है, तुमसे बातें सुनने को, चुप्पी करा दूँ भंग, बुरा तो नहीं मानोगे? इश्क़ के रंग हैं हज़ार, ख़ुद का रंग ख़ास भी मत समझना 'धुन', गर रिश्ता निभाने के सीखूँ ना उम्दा ढंग, बुरा तो नहीं मानोगे? सब्ज़-रंग - Green Colour ♥️ Challenge-521 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।