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ख़ामोश दिल से पूछो, क्यों इतना बेचैन है..! उजाले क

ख़ामोश दिल से पूछो,
क्यों इतना बेचैन है..!

उजाले की प्रबलता में भी,
आखिर ग़म की रैन है..!

विश्वास है ग़र शिव पे,
उज्जवल है भविष्य फिर..!

महाकाल की नगरी सा,
मन मंगलमय उज्जैन है..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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