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क्या दिन थे वो बचपन के क्या खेल सुहाने थे दिन रात

क्या दिन थे वो बचपन के क्या खेल सुहाने थे
दिन रात ही मिट्टी मे तब हमने गुजारे थे
न फिक्र थी कपड़ो की ,न चोट का कुछ डर था
मदहोश हम रहते थे ना खाने का कुछ गम था
आरिफ हुसैन🖋 क्या दिन थे वो बचपन के क्या खेल सुहाने थे
क्या दिन थे वो बचपन के क्या खेल सुहाने थे
दिन रात ही मिट्टी मे तब हमने गुजारे थे
न फिक्र थी कपड़ो की ,न चोट का कुछ डर था
मदहोश हम रहते थे ना खाने का कुछ गम था
आरिफ हुसैन🖋 क्या दिन थे वो बचपन के क्या खेल सुहाने थे