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मेरे हौसलों का एक नया आयाम सा बन गया! उसने कंधे

 मेरे हौसलों का एक नया आयाम सा  बन गया! उसने कंधे पर रखा हाथ जो मेरे, आगे बढ़ने का मुझे पैगाम जो मिल गया! जब कभी टूटा मैं शीशे की तरह उसने उठाया मुझे इस कदर ,जो डिगा ना सके मुझे कोई मैं एक चट्टान सा बन गया!  मेरे हौसलों का एक नया आयाम सावन गया...
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©Dinesh Kashyap
  # आयाम

# आयाम #Poetry

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