वो यादे है हम मै अब भी मौजूद गर्मियों की छुट्टी ही थी हमारा वजूद करते थे इन्तेजार पूरे साल जिस दिन का अब अफसोश होता है उन खोये हुए दिन का चिल-चिलाती धूप मै भी न था गर्मी का एहसाह मामाजी के घर मै कुछ बात तो थी खास इमली आम और वो नीम के पेड़ ठंडी हवा और हमारे खेल चुप्पन छुपाई और बर्फ करें पानी याद आती है अब नानी की कहानी मामाजी का घर #writersofnojoto #hindiwriter