आज भी तुम्हारे साथ वो रात दिन बातें बनाना याद है। मेरा तुम्हारे साथ वो मुस्कुराना याद है। आसमा की तरह रंग बिरंगे सपने सजाना, फिर कभी शांत समंदर सा हो जाना याद है। जिंदगी को किसी कश्ती की तरह किनारा देना याद है। चाहत की छाया में पनपना याद है। रात दिन का रोज यूं ही बदल जाना याद है। ©saloni Bhatia यादें #Twowords dhyan mira