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खरे सोने सा दिल तोड़ के यू न जाओ गुलाब की महक भी फ

खरे सोने सा दिल तोड़ के यू न जाओ
गुलाब की महक भी फीकी पड़ जायेगी

मांगते है थोड़ी मोहब्बत तुमसे
यू तुम हमे छोड़ के न जाओ

दिल का क्या कसूर है इसमें जो तुम्हे चाहता है
यू ऐसे मुख मोड़ के न जाओ

माना की हम थोड़े खराब है 
तुम्हारी मोहब्बत की जो लगी हमे बुखार है
यू तुम हमारा दिल तोड़ के न जाओ

टूट जायेंगे हम बिखर जायेंगे सपने 
समझो तुम दिल की बातें 
तुम थोड़ी देर और ठहर जाओ,,,,ठहर जाओ






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©Radha Kumari
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