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दर्द की दवाएं मेरी कागज पर बिकती रही, मैं बेचैन थी

दर्द की दवाएं मेरी कागज पर बिकती रही,
मैं बेचैन थी रात भर आंसू की स्याही से लिखती रही,
छू रहे थे बुलंदियां सब प्यार में,
मैं प्यार को ख़ता समझ कर छुपती रही,
अकड़ होती तो कबकी टूट गई होती,
मैं नाज़ुक डाल थी जो सबके आगे झुकती रही। #shayari #kavya #nojoto
दर्द की दवाएं मेरी कागज पर बिकती रही,
मैं बेचैन थी रात भर आंसू की स्याही से लिखती रही,
छू रहे थे बुलंदियां सब प्यार में,
मैं प्यार को ख़ता समझ कर छुपती रही,
अकड़ होती तो कबकी टूट गई होती,
मैं नाज़ुक डाल थी जो सबके आगे झुकती रही। #shayari #kavya #nojoto
kavyamishra5091

Kavya Mishra

New Creator