दर्द की दवाएं मेरी कागज पर बिकती रही, मैं बेचैन थी रात भर आंसू की स्याही से लिखती रही, छू रहे थे बुलंदियां सब प्यार में, मैं प्यार को ख़ता समझ कर छुपती रही, अकड़ होती तो कबकी टूट गई होती, मैं नाज़ुक डाल थी जो सबके आगे झुकती रही। #shayari #kavya #nojoto