//गगन में उड़ते परिंदे// गगन में उड़ते परिंदे, सोच से स्वच्छंद करते नवनिर्माण हैं, लगा पंख हौसलों के करते हैं क्षणभंगुर को शाश्वत प्राण है, न रोको इन्हें उन्मुक्त हो उड़ने दो,रचते नए अभियान को, कर सम्मान अपनों का बनाते ये अपनी नित पहचान को, यही सृजनकर्ता रचनाकार हैं साहित्य के समस्त दर्पण का, खो न जाये कहीं अंधकार में,यही सत्य अहिंसा समर्पण का, कर्तव्यपरायणता, त्याज्य सब धर्म कर्म को ये ही अपनाते हैं, यही संस्कृति के हस्तांतरण,यही भारत का भविष्य कहलाते है। #iasguideline Ias Guideline #raahimanzilonke