न कोई साज श्रृंगार न होठों पर लाली लगाती है वो माथे पर बिंदी लगाती है तो मानो आग लगाती है और शहर की तमाम भीड़ एक तरफ हो जाती है वो जब भी किसी राह से गुजर जाती है और पलटकर देखा था एक दफा सरे-राह उसने हमें तब से शहर की भीड़ हमें उसका आशिक बुलाती है और उसके नाम के चर्च अब सरेआम होने लगे हैं नशीली कलम जब मिलती है वो बोलती कुछ नही बस मुस्कुराकर चली जाती है सवाल कुछ पूछने थे कयामत की रात उससे पर वो बस अपना नाम मोहब्बत बताती है नशीलीकलम #alone #shayri #gajal #Rah #mohabbat #kalakash मुसाफिर.... SingerRahulOfficial (CharmingCreationRahul) irslan khan Suman Zaniyan Ritika Singh