वह बेखबर हम भी बेखबर कौन खाली बैठा है इधर तेरे वादे तेरे प्यार की मोहताज नहीं यह कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं लोग होठों में सजाए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं,,,,,, "राहत इंदौरी जी ने लिखा,,