है कोई दवा,, के यह इशक़,, फिर से करने का,, मुझमे जनून आ जाए,, जो समाए है,, मेरे दिल मे दर्द,, शायद,, इनमे सकुन आ जाए! मेरी कलम मेरी शायरी