यस्मिन्दृष्टे प्रसीदेत्स्वं मनः स हितकृद्ध्रुवम्।। जिसे देखने से अपना मन प्रसन्न होता, वह निश्चय ही हितैषी होता है। शतरुद्र संहिता ७/३९/१७ शुभचिंतक