कुछ मुस्कुराते सपने लिए, अपनो के लिए वो आया था। वक्त बेवक्त जागकर, कुछ सपना उसने सजाया था। माना उसने अपना जिसको, जिसके लिए जताया था। क्या मालूम बेदर्द ने, कितना उसको सताया था। छोड़ दिया उसने अपना सब कुछ, कर्म को पूजा मानकर। भ्रष्ट अधिकारियों ने उसका, कितना मजाक उड़ाया था। तू भी देख ऐ ऊपरवाले, क्या सिला मिला उसे सच्चाई का। जिसने अपना सबकुछ छोड़, जंगल को तेरे सजाया था। आज उसी वनरक्षक को, भ्रष्टाचार ने भेंट चढ़ाया है। जो कभी तेरी प्रकृति को, अपनी दुनिया मान विभाग में आया था। #forestlife #forest #lifequotes #truestory #touchingwords