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White लगता हैं जैसे रिश्तों की परिभाषा ही बदल गई,

White  लगता हैं जैसे रिश्तों की परिभाषा ही बदल गई,
ख़ून के रिश्तों पे जबसे,दौलत की छुरी चल गई,

रिश्तों   में  हार  जीत नहीं, अपनापन जरूरी है,
मग़र वर्तमान समय में, रिश्ते निभाना मजबूरी हैं,

रिश्तों से प्रेम और अपनत्व   की भावना खो गई,
ये कैसी  आधुनिकता  हैं, जो  रिश्तों को खा गई,

जाने किस गर्त में जा रहे हैं,इस दुनिया के इंसान,
जहां माँ बाप भी  लगते हैं, एक  भार  के समान,

अब  रिश्तो  को हरा  कर, हम सुकून   पा रहे हैं,
अब ख़ून से नहीं,  रिश्ता  दौलत  से निभा रहे हैं,

हार  गए हैं रिश्ते प्रेम  और समर्पण के अभाव में,
रक्त  संबंध  खो गए हैं अब,  दौलत के प्रभाव में।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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