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कितने लोग समझेंगे, यह निरा राजनीति है इसके कायदे म

कितने लोग समझेंगे,
यह निरा राजनीति है
इसके कायदे में कमी है
टेबल पर!
राजनीति सामाजिक मानसिकता का प्रबल स्रोत है!
इंसान का भी बायलोजिकल नाम है,
सोची समझी है,यह पद्धति।
इन सब का काट है राजनीति!
इसकी पद्धति में सुधार जारी है
आप सामूहिक योगदान की सोच अपनाएं
कम से कम,व्यक्तित्व निर्माण तो करें,
ज्यादा से ज्यादा,सामूहिक योगदान भरें।
आप भारतीय मंत्रालय के अंतर्गत,
कुछ,
कुछ क्यों!
बहुत कुछ विभाग की संरचना देखें
आपको एक निर्मित व्यवस्था खड़ी दिखेगी
तो क्या,इसलिए मानव का जैविक नाम भी है,
अगर ऐसा है,तो मानव हो गया,'एक व्यवस्थित प्राणी'
और राजनीति हो गई, इसकी काट!
टेबल पर!
आप तो खुश ही होइये
निज आकलन नहीं करने का यह प्रबल उदाहरण है
ओ हो भाई,
भाग्य से मजबूत विपक्ष है
घेर,घेराव जारी है
संविधान के पक्ष के लोग,नये विपक्ष में भी हैं
आपने मत से जो,हाँ कहा है। कृपया,राजनीति और समाज सेवा में भेद समझें!रमेश सर धन्यवाद💐

कितने लोग समझेंगे,
यह निरा राजनीति है
इसके कायदे में कमी है
टेबल पर!
राजनीति सामाजिक मानसिकता का प्रबल स्रोत है!
इंसान का भी बायलोजिकल नाम है,
कितने लोग समझेंगे,
यह निरा राजनीति है
इसके कायदे में कमी है
टेबल पर!
राजनीति सामाजिक मानसिकता का प्रबल स्रोत है!
इंसान का भी बायलोजिकल नाम है,
सोची समझी है,यह पद्धति।
इन सब का काट है राजनीति!
इसकी पद्धति में सुधार जारी है
आप सामूहिक योगदान की सोच अपनाएं
कम से कम,व्यक्तित्व निर्माण तो करें,
ज्यादा से ज्यादा,सामूहिक योगदान भरें।
आप भारतीय मंत्रालय के अंतर्गत,
कुछ,
कुछ क्यों!
बहुत कुछ विभाग की संरचना देखें
आपको एक निर्मित व्यवस्था खड़ी दिखेगी
तो क्या,इसलिए मानव का जैविक नाम भी है,
अगर ऐसा है,तो मानव हो गया,'एक व्यवस्थित प्राणी'
और राजनीति हो गई, इसकी काट!
टेबल पर!
आप तो खुश ही होइये
निज आकलन नहीं करने का यह प्रबल उदाहरण है
ओ हो भाई,
भाग्य से मजबूत विपक्ष है
घेर,घेराव जारी है
संविधान के पक्ष के लोग,नये विपक्ष में भी हैं
आपने मत से जो,हाँ कहा है। कृपया,राजनीति और समाज सेवा में भेद समझें!रमेश सर धन्यवाद💐

कितने लोग समझेंगे,
यह निरा राजनीति है
इसके कायदे में कमी है
टेबल पर!
राजनीति सामाजिक मानसिकता का प्रबल स्रोत है!
इंसान का भी बायलोजिकल नाम है,