एक पल की भी देर न की तेरे रंज-ओ-गम मिटाने में हर लम्हा गुजार दिया तुझे अपना बनाने में तोडे थे साजिशों के आईने लाखों कमी न रखी कोई मुहब्बत निभाने में तुझे आँखों में बसाया था ख्वाबों की तरह बडा दर्द हुआ आँसूओं की तरह बहाने में माना सितम वक्त का भी कहर ढा रहा था पर तूने भी कमी न रखी हमें रूलाने में अब गुजर गए वो लम्हें और अहसास न जाने किस गली के महखाने में अब मिलो तो जरा संभल कर मिलना ए फरेबी फरेब हमने भी सिखे हैं खूब इस जमाने में वक्त के जैसा सा हो गया है ये दिल वक्त नहीं लगाता किसी को भुलाने में तुझे आँखों में बसाया था ख्वाबों की तरह बडा दर्द हुआ आँसूओं की तरह बहाने में -Priyanka 💝