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बहुत रोक लिया अब मैंने खुद को.. मंजिल कब तक करीब न

बहुत रोक लिया अब मैंने खुद को..
मंजिल कब तक करीब नही आएगी
अब मंजिल मिले या न मिले,
 तुम तक पहुंचने की मंजिल भी अब खुद बनाऊंगी, 
रास्ता चाहें जैसा भी हो, हर कांटों से गुजर जाऊंगी,
तुमसे मिलने की आश में मैं कांटे पर भी चल जाऊंगी
बहुत रोक लिया अब मैंने खुद को,
अब कांटों पर चल कर तुम्हारे कदमों में फूल बिछाआऊंगी।

©mona_aamayra Bhout rok liya ab maine khud ko❤️
बहुत रोक लिया अब मैंने खुद को..
मंजिल कब तक करीब नही आएगी
अब मंजिल मिले या न मिले,
 तुम तक पहुंचने की मंजिल भी अब खुद बनाऊंगी, 
रास्ता चाहें जैसा भी हो, हर कांटों से गुजर जाऊंगी,
तुमसे मिलने की आश में मैं कांटे पर भी चल जाऊंगी
बहुत रोक लिया अब मैंने खुद को,
अब कांटों पर चल कर तुम्हारे कदमों में फूल बिछाआऊंगी।

©mona_aamayra Bhout rok liya ab maine khud ko❤️
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