कहां है वो बचपन वाला स्वाद जो समय के साथ बह गया जहां साथ घूमता बचपन था दुनियादारी से अनाथ साथ चले लड़की हो या लड़का सब थे समान कहां है वो बचपन वाला स्वाद जो समय के साथ बह गया मां ऊंच नीच की चिन्ता न ही रोटी खाने की याद लेके निकले बॉटल में पानी क्योंकि सबको हगना था साथ कहां है वो बचपन वाला स्वाद जो समय के साथ बह गया दिन में तलैया जाना दूसरे के खेत से जामुन चुराना मौसम के हर मजे, घर की खेती का स्वाद कहीं रह गया कहां है वो बचपन वाला स्वाद जो समय के साथ बह गया ।। ©ek anjaan lekhak #ekanjanlekhak