छुप गया सांझ का सूरज बादलों में,शरमाते हुए, लौट आईं हारी ज़िंदगियां घरौंदों में,घबराते हुए। सांझ इशारे कर रही कि वक्त हुआ घर जाने का, दो पैसे कमा लाते घरों में,यही दस्तूर जमाने का। दिनभर की भागदौड़ में हमने सुख चैन खो दिए, सांझ को घरौंदों में हमने सुख के दियें जला दिए। दिनभर की कड़क धूप में ज़िंदगी को जलाते रहे, घर पहुंच अंधेरों को उजालों में तब्दील कर दिए। सांझ ही देती थकी हारी ज़िंदगियों को सहारा है, ग़म के मझधार में सांझ देती सुख का किनारा है। JP lodhi 24JAN2021 ©J P Lodhi. #EveningBlush #Nojotowriters #poetryunplugged #Nojotonews #Nojotofilms #Zindgikerang #Poetry